
नवजोत सिंह सिद्धू (File Photo)
Updated: September 9, 2018, 1:47 PM IST
पाकिस्तान ने जताई रजामंदी!
सिद्धू ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के लिए रजामंदी जताई है. सिद्धू ने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा “आज मेरा जीवन सफल हो गया. करोड़ों सिखों की मुराद पूरी गई. मेरे माता-पिता डेरा नानक और करतारपुर अरदास करने जाया करते थे. पाकिस्तान के मेरे दोस्त और प्रधानमंत्री खान साहब (इमरान खान) के इस फैसले पर मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं. ये फैसला उन्होंने मेरे दोस्त होने पर नहीं बल्कि वजीर-ए-आजम के तौर पर लिया है.” हालांकि, पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि अभी उन्हें करतारपुर कॉरिडोर के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
काफी समय से हो रही है मांग
गौरतलब है कि बीते महीने सिद्धू पाकिस्तान के नए पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण में गए थे. वहां पर उनकी मुलाक़ात पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से भी हुई जिसकी काफी आलोचना हुई थी. सिख समुदाय लंबे अरसे से करतारपुर कॉरिडोर की मांग कर रहा है. सिद्धू ने भी पाकिस्तान में इसे खोलने की अपील की थी.
सरकारी व राजनीतिक स्तर पर इस रास्ते को खुलवाने के प्रयासों के अलावा पिछले वर्ष शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भी केंद्र सरकार को प्रस्ताव पास करके इस रास्ते को खुलवाने की मांग की थी. 13 अप्रैल, 2001 से भाई कुलदीप सिंह वडाला के नेतृत्व में करतारपुर रावी दर्शन अभिलाषी संस्था ने हर अमावस्या वाले दिन डेरा बाबा नानक के निकट सरहद पर जा कर इस रास्ते को खुलवाने के लिए अरदास करने का सिलसिला शुरू किया था. 18 वर्षों के दौरान वह अब तक 211 बार अरदास कर चुके हैं और 212वीं अरदास नवजोत सिद्धू ने की.
दूरबीन से दर्शन करती है संगत
भारत-पाक सरहद पर डेरा बाबा नानक से करीब एक किमी की दूरी पर कांटेदार तार से इस गुरुद्वारा साहिब की सीधी दूरी करीब तीन किमी है. कुछ वर्ष पहले सिख संगत की मांग पर भारत सरकार ने बीएसएफ की सहमति से इस गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने की इच्छुक संगत को कांटेदार तार तक जाने की अनुमति दी थी, जहां बाकायदा एक ऊंचा दर्शनीय स्थल बना कर वहां से दूरबीन से संगत को गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करवाये जाते हैं.
श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी का अंतिम समय करतारपुर साहिब में बिताया था. वहां उन्होंने 17 वर्ष पांच माह नौ दिन तक अपने हाथों से खेती की. इसी स्थान से उन्होंने समूची मानवता को काम करने तथा बांट कर खाने जैसे उपदेश दिये थे. इसी पवित्र स्थान पर 22 सितंबर, 1539 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी. इस स्थान से करीब तीन किमी दूर भारत में डेरा बाबा नानक शहर भी गुरु नानक देव साहिब की याद में बनवाया गया है. महाराजा पटियाला भूपिंदर सिंह ने गुरुद्वारा साहिब की मौजूदा इमारत का निर्माण करवाया था, जिसकी 1995 में पाकिस्तान की सरकार ने मरम्मत करवायी थी. 2004 में फिर इस का नवीनीकरण किया गया था.
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