इस वक्त बीजेपी कई मोर्चों पर विपक्ष के सवालों से जूझ रही है. ऐसे में उसे यह योजना गरीबों की हितैषी साबित करने में काफी मदद कर सकती है. खुद बीजेपी के बड़े नेता ये मान रहे हैं कि ‘मोदी केयर’ उसके लिए गेमचेंजर साबित होगी. क्योंकि गरीब आदमी सबसे ज्यादा बीमारियों से परेशान रहता है. दो वक्त की रोटी के लिए जूझने वालों के लिए इलाज का खर्च उठाना किसी बोझ से कम नहीं है. ऐसे में इसके जरिए उसे अच्छी तरह अपने पाले में किया जा सकता है. इसके तहत 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने का लक्ष्य है. इसका मतलब है देश की करीब 40 फीसदी आबादी तक सीधी पहुंच.
क्या है आयुष्मान भारत स्कीम?
2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग 83 करोड़ मतदाता थे. जिनमें से करीब 55 करोड़ ने मतदान किया था. ऐसे में इस स्कीम के जरिए मोदी सरकार ज्यादातर मतदाताओं तक पहुंच बनाना चाहती है. सूत्रों का कहना है कि योजना लॉन्च होने के बाद बीजेपी अपने सभी जिला कमेटियों से जनता को इसका लाभ बताने और उसे वोटों में कन्वर्ट करवाने की कसरत करने के लिए कहेगी, ताकि इसकी सियासी फसल काटी जा सके.ये भी पढ़ें: RSS पर इस तरह हमलावर क्यों हैं राहुल गांधी?
राजनीतिक विश्लेषक आलोक भदौरिया कहते हैं, “यह अच्छी पहल है कि आप गरीबों को इंश्योरेंस कवर दे रहे हैं, लेकिन यह तभी सफल होगी जब इसमें ओपीडी को भी जोड़ा जाएगा और ब्लॉक स्तर पर मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जाएगा. योजना का फायदा तब मिलेगा जब आप हॉस्पिटलाइज होंगे. जबकि ज्यादातर लोग ओपीडी में ही काफी पैसा खर्च कर चुके होते हैं. ऐसे में जिस दिन सरकार इसके तहत ओपीडी की सेवा भी उपलब्ध करवा देगी, यह उसके लिए गेमचेंजर साबित हो जाएगी और उसका काट किसी के पास नहीं होगा. इसे अभी से सफल मानने से पहले पुरानी बीमा योजनाओं के सक्सेस रेट को देखना होगा. इसे कागज से जमीन पर उतारना किसी बीमारी को ठीक करने जैसा जटिल साबित होने वाला है, क्योंकि यह योजना प्राइवेट हेल्थ सेक्टर के भरोसे ही रहेगी.”
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भदौरिया कहते हैं, “तीन बड़े राज्य चुनावी मुहाने पर खड़े हैं. कुछ ही माह बाद आम चुनाव भी हैं. ऐसे में इतनी बड़ी योजना का बीजेपी राजनैतिक फायदा लेने की पूरी कोशिश करेगी. सियासी लाभ इमोशन पर मिलता है. किसी भी मसले का भावनात्मक मुद्दा बनाकर इसका दोहन करने में बीजेपी सबसे आगे है, फिर इसका क्यों नहीं करेगी?”
बीजेपी प्रवक्ता राजीव जेटली कहते हैं, “गरीब आदमी सबसे ज्यादा परेशान बीमारियों के इलाज में होता है. सरकार का लक्ष्य उन्हें इस दुष्चक्र से बाहर निकालना है न कि राजनैतिक लाभ लेना. कांग्रेस ने गरीबों को हमेशा गरीब बनाए रखा लेकिन हम उन्हें इलाज की चिंता से मुक्ति दिलाकर उनका विकास करना चाहते हैं.”
कितनी बीमारियों का इलाज और कैसे संभव होगा?
छोटी बड़ी 1,350 बीमारियों का इलाज होगा. मरीज के भर्ती होने के तीन दिन पहले से लेकर हॉस्पिटल से छुट्टी के बाद 15 दिन तक का खर्च बीमा स्कीम में शामिल होगा. उन्हीं बीमारियों के लिए लाभ मिलेगा, जिनमें अस्पताल में भर्ती होना जरूरी होगा.
आयुष्मान भारत से कितना स्वस्थ होगा भारत?
रोजगार पर भी लाभ लेगी सरकार
रोजगार के मोर्चे सरकार विपक्ष की आलोचना झेल रही है. इससे उसे कुछ राहत मिलेगी. क्योंकि इसके तहत रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. शहरों में हॉस्पिटल बनेंगे और मेडिकल स्टाफ भर्ती किए जाएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी के मुताबिक आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी यूरोप की जनसंख्या के बराबर होंगे. सरकारी और चुने हुए निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिलेगी. परिवार चाहे जितना बड़ा हो, उसके हर सदस्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत लाभ मिलेगा. महिला-पुरुष, बच्चे-बूढ़े सब इस योजना के लाभार्थी हो सकते हैं. आयुष्मान भारत योजना में उम्र की भी कोई सीमा नहीं है. इसका प्रीमियम का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करेंगी.
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